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मुरैना के बारे में जानकारी – Morena in Hindi

मध्य प्रदेश का मुरैना शहर, चंबल घाटी में स्थित है। भारत में सबसे अधिक मोर इसी शहर में पाए जाते हैं जिस वजह से इस नगर को "मुरैना" नाम दिया गया। पूरे मध्य प्रदेश में मुरैना को कच्ची घानी के सरसों के तेल के लिए भी जाना जाता है। शहर के लगभग 50 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है। मुरैना में राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य, सबलगढ़ का किला, कुतवार, नूराबाद तथा संग्रहालय आदि दर्शनीय स्थल हैं।

मुरैना कैसे पहुंचें –

मुरैना का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर हवाई-अड्डा है, यह मुरैना से तकरीबन 48 किमी. की दूरी पर है। मुरैना रेलवे स्टेशन यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है तथा यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 3 द्वारा दिल्ली, मथुरा, ग्वालियर शहरों से जुड़ा है।

मुरैना घूमने का समय –

मुरैना की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक का होता है।

सीतापुर के बारे में जानकारी – Sitapur in Hindi

उत्तर प्रदेश राज्य के सीतापुर शहर को राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित करवाया गया था। सीतापुर शहर, सरायान नदी के किनारे स्थित है, इस शहर का नाम भगवान श्री राम की धर्मपत्नी माता सीता को समर्पित है। सीतापुर शहर को ऋषि वेद व्यास ने पुराण में एक पवित्र भूमि कहा है। यहां की मुख्य फसलें उड़द, गेहूं, चावल हैं तथा इनके अलावा यहां गन्ना, सरसों, मूंगफली की भी खेती की जाती है। नेमिसराय, श्री ललिता देवी मंदिर, चक्र तीर्थ, पंचप्रयाग, मछरटा, वैदेही वाटिका, शौर्य स्तंभ, शामनाथ मंदिर आदि यहाँ के पर्यटन स्थल हैं।

सीतापुर कैसे पहुंचें –

सीतापुर जाने के लिए निकटतम एयरपोर्ट अमौसी हवाई अड्डा है। सीतापुर रेलवे स्टेशन से सीतापुर पहुंचा जा सकता है तथा यह शहर राष्ट्रीय राजमार्ग 24 (लखनऊ-दिल्ली)  से जुड़ा हुआ है।

सीतापुर घूमने का समय –

सीतापुर जाने के लिए सही समय अक्टूबर से मार्च का है।

राजसमंद राजस्थान के बारे में जानकारी – Rajsamand Rajasthan in Hindi

राजसमंद, भारत के राजस्थान राज्य का एक शहर है। इसे 10 अप्रैल सन् 1991 को राजस्थान के उदयपुर शहर से अलग कर एक नए शहर के रूप में स्थापित किया गया था। इस शहर का नाम यहां की प्रसिद्ध कृत्रिम झील “राजसमंद” के नाम पर रखा गया था। इस कृत्रिम झील का निर्माण मेवाड़ के महाराणा राजा सिंह द्वारा करवाया गया था। इस शहर में कुंभलगढ़ का किला है जो योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म स्थान है। राजसमंद शहर अपने संगमरमर के उत्पादन के लिए देशभर में जाना जाता है।

राजसमन्द कैसे पहुंचें –

राजसमंद से निकटतम हवाई-अड्डा उदयपुर शहर में है। इसके अलावा उदयपुर शहर तक रेलवे मार्ग के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। राजस्थान राज्य में लोकल व प्राइवेट बसों द्वारा शहर पहुँच सकते हैं।

राजसमन्द घूमने का समय –

राजसमंद की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के दौरान है। 

बूंदी राजस्थान के बारे में जानकारी – Bundi Rajasthan in Hindi

बूंदी, राजस्थान के हड़ौती क्षेत्र में स्थित एक शहर है। यह शहर मुख्य रूप से अलंकृत किलों, महलों और बावड़ी जलाशयों के लिए जाना जाता है। तीन तरफ से अरावली रेंज की पहाड़ियों से घिरा, यह शहर प्राचीन समय में विभिन्न स्थानीय जनजातियों का निवास स्थान था। शहर का नाम उस समय मीना जाति के मुखिया ‘बूंदा मीना’ के नाम पर रखा गया था। यहां मुख्य रूप से हरितालिका तीज, गणगौर महोत्सव और बूंदी महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं।

बूंदी कैसे पहुंचें –

बूंदी जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा है। इसके अलावा यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बूंदी और कोटा रेलवे स्टेशन है। बूंदी शहर राज्यमार्गों से भी जुड़ा हुआ है।

बूंदी घूमने का समय –

बूंदी जाने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर से मार्च है। इस बीच यहां न अधिक गर्मी पड़ती है और न अधिक सर्दी, मौसम सुखद होता है।

काशीपुर उत्तराखंड के बारे में जानकारी – Kashipur Uttarakhand in Hindi

काशीपुर उत्तराखंड के उधम सिंह जिले में स्थित एक शहर है। यह शहर 5.46 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस शहर का नाम 16वीं और 17वीं शताब्दी में कुमाऊं चंद राजाओं के अधिकारी रह चुके काशीनाथ के नाम पर रखा गया था। यह शहर यहां स्थित मंदिरों के कारण काफी प्रसिद्ध है। यहां भीमशंकर मोटेश्वर महादेव मंदिर, मां बाल सुंदरी मंदिर, नानक साहिब गुरुद्वारा, ड्रोना सागर लेक, गिरि लेक मंदिर आदि आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।

काशीपुर कैसे पहुंचें –

शहर का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा तथा नजदीकी रेलवे स्टेशन काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा पर्यटक बस द्वारा भी काशीपुर पहुँच सकते है।

काशीपुर घूमने का समय –

यहां घूमने का सबसे उत्तम समय फरवरी से सितबंर है। इस दौरान यहां का तापमान सामन्य और सुखद होता है। 

मधुमेह से जुड़े 5 मिथक एवं तथ्य – 5 Myths Associated With Diabetes

मिथक: मधुमेह एक संक्रामक रोग है

तथ्य: मधुमेह एक संक्रामक रोग नहीं है। मधुमेह एक अंतःस्रावी ग्रंथि से जुड़ी बीमारी है जो अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं द्वारा निर्मित अधिक इंसुलिन के कारण जन्म लेती है। मधुमेह पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने वाली एक बीमारी है।

मिथक: मीठे का अधिक सेवन मधुमेह का कारण बन सकता है

तथ्य: टाइप 1 मधुमेह, अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं के विनाश के कारण होता है तथा मीठे का अधिक सेवन मधुमेह के रोग का कारण नहीं है। जब इंसुलिन में सामान्य रुप से प्रतिक्रिया देनी की क्षमता नहीं रहती तो यह टाइप 2 मधुमेह का कारण बनता है। ज्यादातर मामलों में टाइप 2 मधुमेह आनुवंशिक कारणों से होता है परंतु नियमित व्यायाम एवं सही खान- पान की मदद से मधुमेह के रोगी सीमित मात्रा में मिठाई खा सकते हैं।

मिथक: मधुमेह के रोगी कभी मीठा नहीं खा सकते

तथ्य: मधुमेह के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मुश्किल होती है, जिसका प्रभाव उनके पूरे शरीर पर पड़ता है। मधुमेह के रोगियों को मीठे का सेवन बहुत नियमित रुप से करना चाहिए तथा उन्हें सही समय पर दवा लेने की एवं कसरत करने की आवश्यकता है। इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और उसमें शर्करा का स्तर भी बना रहेगा तथा आप इस बीमारी की जटिलता से भी बचे रहेंगे।

मिथक: कम कार्बोहाइड्रेट वाली खुराक मधुमेह ग्रस्त लोगों के लिए अच्छी होती है।

तथ्य: कार्बोहाइड्रेट को शरीर के लिए ऊर्जा के स्त्रोत के तौर पर तरजीह दी जाती है। कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन प्रोटीन और वसा से भरपूर होता है। उच्च वसा तथा उच्च प्रोटीन वाली खुराक से दिल और गुर्दे की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। मधुमेह ग्रस्त रोगियों को भी ऐसी भोजन योजना बनानी चाहिए जिससे उन्हें कार्बोहाइड्रेट सेवन को संतुलित करने में मदद मिले, इसके साथ साथ उन्हें मधुमेह नियंत्रण हेतु चिकित्सा व व्यायाम को भी अपनाना चाहिए।

मिथक: थोड़ा सा कंट्रोल करने पर आपको चेकअप की जरूरत नहीं पड़ेगी

तथ्य: मधुमेह एक गंभीर बीमारी है। इसे काबू में करने के लिए आपको नियमित आहार व कसरत के साथ-साथ दवा लेने की भी जरूरत है। आप भले ही शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सफल हो जाएं लेकिन यह चेकअप से बचने का कोई कारण नहीं है।

अग्नाशय की देखभाल – Pancreas Care tips in Hindi

व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं में सबसे महत्त्वपूर्ण भोजन माना जाता है। भोजन द्वारा ही व्यक्ति के शरीर को विटामिन व खनिज मिलता है। शरीर भोजन में मौजूद जैव-रसायनों को उनके मूल रूप में उपयोग नहीं कर सकता। इसलिए पाचन तंत्र भोजन को छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर देता है। पाचन तंत्र का ही एक मुख्य हिस्सा अग्नाश्य है।

भोजन पचाने का मुख्य कार्य अग्नाश्य का होता है। यह हमारे शरीर की एक प्रमुख ग्रंथि हैं। अगनाश्य शरीर में भोजन पचाने के लिए हार्मोन तथा एंजाइन का स्राव करता है। अग्नाश्य 6 से 10 इंच लंबी ग्रंथी है। अग्नाश्य ही ग्लूकागॉन और इंलुलिन को रक्त के अंदर छोड़ता है। अग्नाश्य यदि ठीक प्रकार से कार्य न करे तो कई बीमारियां हो सकती हैं जिसमें अग्नाश्य कैंसर, गैस, मधुमेह, अग्नाशयशोथ आदि शामिल है।

अग्नाशय के संबंध में कुछ तथ्य – Basic Facts about Pancreas in Hindi

  • अग्नाशय (Pancreas) पाचन तंत्र की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

  • यकृत के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी ग्रंथि हैँ

  • अग्नाशय एक लंबी ग्रंथि है जो बहि: स्रावी (Exocrine) और अंत: स्रावी (Endocrine), दोनों ही ग्रंथियों की तरह कार्य करती है।
  • बहि: स्रावी भाग से क्षारीय (Alkaline) अग्नाशयी स्राव निकलता है, जिसमें एंजाइम (Enzyme) होते हैं। 
  • अंत: स्रावी भाग से इंसुलिन (Insulin) और ग्लुकेगोन (Glucone) नामक हार्मोन का स्राव होता है। 
  • मधुमेह (Diabetes) इंसुलिन’ नामक रसायन की कमी से होता है, जिसका स्राव शरीर में अग्नाशय द्वारा होता है।
  • अग्नाशय द्वारा निर्मित लाइपेज एंजाइम "वसा का पाचन" करता है |

अग्नाशय की देखभाल के लिए क्या करे – How to care Pancreas in Hindi

अग्नाशय (Pancreas) पाचन क्रिया की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, इसलिए इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  • अग्नाशय अगर ठीक से काम नही करे तो पाचन और चयापचय से संबंधित अनेक समस्याऍ उत्तपन हो सकती हैं। 
  • स्वस्थ अग्नाशय के लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। अमरुद (Guava) और पपीते (Papaya) को अग्नाशय के लिए अच्छा माना गया है।   
  • धूम्रपान और शराब के दोनों ही अग्नाशय के लिए अच्छे नही होते हैं, अतः इनका उपयोग न करे और अगर करे तो मात्रा पर नियंत्रण रखें।  
  • नियमित रूप से व्यायाम करें। 
  • कूर्मासन और वज्रासन दोनों अग्नाशय के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। 

अग्नाशय की देखभाल के लिए टिप्स – Ways to care for your Pancreas in Hindi

  • अग्नाशय को स्वस्थ रखने के लिए हमें अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • यदि आप तम्बाकू, गुटका, शराब सिगरेट जैसी बुरी आदतों के शौकीन हैं तो इनका सेवन करना छोड़ दें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करके भी अग्नाशय को स्वस्थ रखा जा सकता है।
  • अपने दैनिक आहार में अमरूद और पपीता को शामिल करें, यह अग्नाशय के लिए अच्छा माना गया है।

दमा (अस्थमा) का आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic treatment for Asthma in Hindi

  • आयुर्वेदिक दवाएं बहुत सुरक्षित हैं और काफी हद तक समस्या का इलाज है। कुछ आम दवाओं कंटकारी अवालेह, अगस्त्याप्रश, चित्रक, कनाकसव का प्रयोग किया जा सकता है। 
  • रात का खाना हल्का व सोने से एक घंटे पहले लें।
  • सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से ‘प्राणायाम’ और भावातीत ध्यान करें।
  • अधिक व्यायाम से बचे।
  • हवादार कमरे में रहें और सोएं। एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें।
  • ठंडे और नम स्थानों से दूर रहें।
  • धूम्रपान चबाने वाली तम्बाकू, शराब और कृत्रिम मिठास और ठंडे पेय न लें। जिन्हें इत्र से इलर्जी हैं, वे अगरबत्ती, मच्छर रेपेलेंट्स का प्रयोग न करें।
  • 2/3 गाजर का रस, 1/3 पालक का रस, एक गिलास रोज पिएं।
  • जौं, कुल्थी, बथुआ, द्रम स्तिच्क अदरक, करेला, लहसुन का अस्थमा में नियमित रूप से सेवन किया जा सकता है।
  • मूलेठी और अदरक 1/2-1/2 चम्मच एक कप पानी में लेना बहुत उपयोगी होता है।
  • तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
  • जो लोग इस रोग की चपेट में आ चुके हैं, उनके लिए हर ऋतु के प्रारम्भ में एक-एक सप्ताह तक पंचकर्म की नस्य या शिरोविरेचन चिकित्सा इस रोग की रोकथाम में सहायक होती है।
  • दिल्ली के शालीमार बाग स्थित महर्षि आयुर्वेद अस्पताल में इसकी अच्छी व्यवस्था है।
  • रात-विरात यदि दमा प्रकुपित हो जाए, तो छाती और पीठ पर गर्म तिल तेल का सेंक करें।
  • घर में एक शीशी प्राणधारा की अवश्य रखें। उसमें अजवाइन का सत् होता है, जिसकी भाप दमा के दौरे में राहत देती है।
  • 1/4 चम्मच सोंठ, छ: काली मिर्च, काला नमक 1/4 चम्मच, तुलसी की 5 पत्तियों को पानी में उबाल कर पीने से भी दमा में आराम मिलता है।
  • 1/4 प्याज का रस, शहद एक चम्मच, काली मिर्च 1/8 चम्मच को पानी के साथ लें।

दमा का प्राकृतिक उपचार – Treatment of asthma in naturopathy in Hindi

दमा या अस्थमा (Asthma) एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है।श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती है। दमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करने वाली चीज़ के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है।

दमा का प्राकृतिक उपचार – Natural Cure for Asthma

दमा के प्राकृतिक उपचार में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं– 

ताजा फलों का रस : अपने शरीर की प्रणाली को पोषक तत्त्व प्रदान करने के लिए और हानिकारक तत्त्व बाहर निकालने के लिए रोगी को कुछ दिन तक ताज़े फलों का रस ही लेना चाहिए और कुछ नहीं। इस उपचार के दौरान उसे ताज़ा फलों के एक गिलास रस में उतना ही पानी मिलाकर दो-दो घंटे के बाद सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक लेना चाहिए।तेज़ाब बनाने वाले पदार्थ सीमित मात्रा मेंरोगी के आहार में कार्बोहाइड्रेट चिकनाई एवं प्रोटीन जैसे तेज़ाब बनाने वाले पदार्थ सीमित मात्रा में रहें और ताजे फल, हरी सब्जियाँ तथा अंकुरित चने जैसे क्षारीय खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में रहें तो सबसे अच्छा रहता है।

कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ से बचें : चावल, शक्कर, तिल और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ तथा तले हुए एवं गरिष्ठ खाद्य पदार्थ न ही खाएं।

कम और चबा-चबा कर खाना खाएं : अल्पाहार दमा के रोगियों को अपनी क्षमता से कम ही खाना चाहिए। उन्हें धीरे-धीरे और अपने भोजन को चबा-चबाकर खाना चाहिए। दमा, विशेषकर तेज़ दमे का दौरा, हाजमें को खराब करता है। ऐसे मामलों में रोगी पर खाने के लिए जोर मत दीजिए, ऐसे मामलों में जब तक दमे का दौरा दूर न हो जाए तब तक रोगी को लगभग उपवास करने दीजिए।

अत्यधिक पानी पीना चाहिए : दमा के रोगियों को प्रतिदिन कम से कम आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए। भोजन के साथ पानी या किसी तरह का तरल पदार्थ लेने से परहेज करना चाहिए। रोगी हर दो घंटे के बाद एक प्याला गरम पानी पी सकता है। ऐसे मामले में यदि रोगी एनीमा लेता है तो उसे बहुत फायदा होता है।

मौसम से सावधान रहना चाहिए : बारिश के बाद सितंबर में धूल उड़ती है और बारिश के कीटाणुओं को फैलने पनपने का मौका मिल जाता है। वैसे भी वातावरणीय कारकों से फैल रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां और घरेलू नुस्खे इसमें काफी राहत देते हैं।