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इबोला वायरस – Ebola Virus in Hindi

इबोला वायरस रोग या इबोला हेमोराहैजिक बुखार इबोला विषाणु के कारण होता है। इबोला विषाणु रोग (EVD) या इबोला हेमोराहैजिक बुखार (EHF) में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर रक्तस्राव शुरू हो जाता है और इससे 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इबोला के बारें में जानकारी – Information of Ebola in Hindi

इबोला वायरस बीमारी के लक्षण विकसित होने पर ही यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के निकट आने से मनुष्यों को होती है। इबोला वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच इबोला रोग के लक्षण उभरने शुरू होते हैं, जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होता है। 

इबोला: एक संक्रामक रोग

इबोला एक संक्रामक रोग माना गया है और छूने से फैलता है। ये रोग सांस से नहीं फैलता बल्कि इबोला के फैलने का मुख्य कारण है "पसीना"। रोगी की मौत होने के बाद भी ये जीव रोगी के शरीर मे जीवित रहता है और उसके रिश्तेदारों के छूने पर ये उनमें स्थानांतरित हो जाता है।

जानवरों में इबोला – Ebola in Animals

इंसानों के अलावा जानवरों से भी ये रोग फैलता है। जानवरों के जरिए इंसानों में संक्रमण आसानी से होता है। चमगादड़ों को इबोला की सबसे बड़ी वजहों में से एक माना गया है। फ्रूट बैट (एक प्रकार के चमगादड़) प्रभावित हुए बिना यह वायरस रखते और फैलाते हैं।

माइक्रोस्कोप से देखने पर यह वायरस धागे जैसा पतला और लंबा नजर आता है। इन वाइरस की लंबाई अलग-अलग हो सकती है।

इबोला में जिगर (Liver) और गुर्दो (Kidney) के प्रभावित होने के कारण मितली, उल्टी और डायरिया हो जाती है। इस स्थिति में कुछ लोगों को खून बहने की समस्या शुरू हो जाती है।

इबोला की जांच – Diagnosis of Ebola​ in Hindi

इबोला की पुख्ता पहचान करने के लिए जांच करके यह पता लगा लिया जाता है कि कहीं यह समान लक्षण वाली दूसरी बीमारियों जैसे मलेरिया, हैज़ा और अन्य वायरल हेमोराहैजिक बुखार तो नहीं है। रोग की पहचान की पुष्टि करने के लिए खून के नमूनों को वायरल एंटीबॉडीज, वायरल आरएनए, या खुद वायरस के लिए जांच की जाती है।

इबोला विषाणु रोग (EVD) के लक्षण – Ebola virus Symptoms in Hindi

आरंभिक लक्षण में ज्वर, फुन्सी, सर दर्द, मिचली, उल्टी और पेट में दर्द, पूरे शरीर में गठिया का दर्द, गले में दर्द, दस्त सकता है। इस रोग का इंक्यूबेशन पिरीयड (Incubation Period) एक हफ्ते का होता है। उसके बाद रोगी में आरंभिक लक्षण नजर आते हैं

  • जननांग में सूजन होती है
  • त्वचा में दर्द का अनुभव होता है
  • नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजेंगवाइटिस) है
  • पूरे शरीर पर फुंशियों नजर आने लगती हैं
  • मुँह का तालु लाल हो जाता है
  • मुँह, कान, नाक से रक्तस्राव होता है
  • रोग के विकसित अवस्था में यह लक्षण भी नजर आते है

इबोला विषाणु रोग के कारण – Ebola virus Causes in Hindi

इबोला से बचाव का सबसे बेहतर और एकमात्र उपाय है इससे प्रभावित रोगी के सम्पर्क में आने से बचना। किसी रोगी के संपर्क में आने से यह रोग और तेजी से फैलता है। 

इबोला विषाणु रोग का इलाज – Ebola virus Treatment in Hindi

​इबोला का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं मिला है। बचाव ही इस बीमारी का सबसे बेहतरीन उपाय माना जाता है। अभी तक इबोला से पीडितों के केस में निम्न कदम उठाए जाते हैं:

  • इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है; संक्रमित लोगों की सहायता की कोशिशों में उन्हें ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (पीने के लिए थोड़ा-सा मीठा और नमकीन पानी देना) या इंट्रावेनस फ्लुड्स देना शामिल है।
  • अक्सर इस वायरस के संक्रमित होने वाले 50% से 90% तक लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।
  • इसके लिए टीका विकसित करने के प्रयास जारी हैं; हालांकि अभी तक ऐसा कोई टीका मौजूद नहीं है।

ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) – Bronchitis in Hindi

जब श्वासनली तथा इसकी शाखाओं में संक्रमण या एलर्जी के कारण सूजन आने के कारण श्वास संबंधी समस्या होती है तो उस स्थिति को ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) कहते हैं। यह सर्दियों की एक आम समस्या है।  

ब्रोंकाइटिस में समस्याएं – Problems in Bronchitis in Hindi

ब्रोंकाइटिस में अकसर गले और श्वास नली में अत्यधिक दर्द होता है। शुरुआती दौर में तो यह केवल गर्म भाप लेने से भी सही हो जाता है लेकिन अगर समस्या बढ़ जाए तो दवाई लेनी चाहिए। 

ब्रोंकाइटिस के लक्षण – Bronchitis Symptoms in Hindi

  • खांसी के साथ बहुत गाढ़ा व हरे रंग का बलगम आना
  • नाक बहना या बंद होना
  • बदन दर्द होना
  • बार-बार छाती में जलन
  • बुखार या ठंड लगना
  • लगातार काफी देर होना
  • सांस फूलना
  • सांस लेते समय छाती में घरघराहट की आवाज होना

ब्रोंकाइटिस के कारण – Bronchitis Causes in Hindi

सर्दियों में जब ठंड के कारण सर्दी-जुकाम होने लगता है तब यह बीमारी मुख्य रूप से सामने आती हैं। ​​ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) होने की मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं :

  • सीने में स्थित श्वांस नली और उसकी शाखाओं में बार-बार होने वाला इंफेक्शन।
  • न्यूमोनिया भी ब्रोंकाइटिस का मुख्य कारण होती है।
  • टी.बी. का इंफेक्शन भी इसका एक प्रमुख कारण होता है। अगर शुरुआत में ही टी.बी. इंफेक्शन का समुचित इलाज हो जाए तो ब्रोंकाइटिस से बचा जा सकता है।
  • कुछ लोगों में यह रोग जन्मजात होता है।
  • इसके अलावा ऐंटीट्रिप्सिन नामक एंजाइम की कमी, रयूमेटाइड ऑर्थराइटिस और अन्य आटोइम्यून बीमारियां भी ब्रोंकाइटिस का कारण बनती हैं।
  • बैक्टीरिया या विषाणु का संक्रमण भी ब्रोंकाइटिस का कारण हो सकता हैं।
  • धूम्रपान और वायु प्रदूषण के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। 
  • वायु में किसी चीज से एलर्जी जैसे पराग कण इत्यादि भी ब्रोंकाइटिस का कारण हो सकते हैं।

ब्रोंकाइटिस का इलाज – Bronchitis Treatment in Hindi

ब्रोंकाइटिस से बचाव के लिए शरीर को ठंडी से बचाना चाहिए। साथ ही निम्न बातों का भी ख्याल रखना चाहिए: 

  • धूम्रपान छोड़ दें। 
  • वायु प्रदूषण, व धूल से बचें। 
  • सर्दी और फ्लू से करें बचाव। 
  • बलगम पतला रखने के लिए खूब पानी पिएं। 
  • सोते समय सिर बिस्तर से ऊंचा रखने के लिए तकिए का प्रयोग करें।
  • यदि बुखार बढ़ जाए और ठंड लगने लगे तो तुरंत किसी चिकित्सक से संपर्क करें। 

सिरदर्द – Headache in Hindi

सिरदर्द एक आम समस्या है। सिर के किसी भी हिस्से में दर्द हो सकता है और यह दर्द केवल लक्षण होता है जो कि सिर की किसी बीमारी को दर्शाता है। कई बार बहुत ज्यादा तनाव लेने, थकावट होने, भूखे रहने, गर्मी तेज होने या किसी आम शारीरिक समस्या जैसे कि बुखार या जुकाम के कारण भी सिर दर्द हो सकता है।

सिर का दर्द दिमाग में मौजूद पेन सेंसिटिव स्ट्रक्चर (pain sensitive structure) में तनाव होने से होता है। सिर और गर्दन में ऐसी नौ जगह होती हैं जहां पेन सेंसिटिव स्ट्रक्चर होते हैं, जैसे मांसपेशियां, नसें, आंखें, कान, नर्व, आर्टरीज (arteries), सबक्यूटेनियस टिश्यू (subcutaneous tissues), साइनस (sinus), क्रेनियम (cranium) और म्यूकस मेम्ब्रेन (mucous membrane)। ज्यादातर सिर दर्द को पेन किलर खाकर ठीक कर लिया जाता है जबकि कई बार सिर्फ आराम करने या हल्की मसाज से भी सिर दर्द से राहत मिल जाती है।

सिरदर्द के कुछ मुख्य प्रकार हैं – Types of headache in Hindi

  • तनाव लेने से होने वाला सिर दर्द
  • माइग्रेन का दर्द
  • ट्रांसफार्म माइग्रेन
  • क्लस्टर सिर दर्द
  • साइनस सिर दर्द

सिरदर्द के लक्षण – Headache Symptoms in Hindi

  • उच्च रक्त चाप होना
  • कब्ज या दस्त होना
  • ज्यादा शराब पीना
  • तनावग्रस्त होना
  • पेट ठीक न होना

सिरदर्द के कारण – Headache Causes in Hindi

सिर का दर्द, दिमाग में रक्त कोशिकाओं (blood vessels) और शिराओं (nerves) के आपस में टकराने से होता है। दर्द के समय रक्त कोशिका की एक निश्चित सिरा और सिर की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और दिमाग को दर्द का सिग्नल भेजती हैं। जिससे सिर दर्द महसूस होता है।

1. जब व्यक्ति किसी चीज को लेकर खुद पर दबाव महसूस करता है या किसी स्थिति या परिस्थिति को लेकर असमंजस में होता है। ऐसे में उसका मन अशांत हो जाता है और दिमाग पर ज्यादा गहरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण तनाव होता है और सिर दर्द होने लगता है।

2. दिमाग की रक्त वाहिनियों में बदलाव होने से होने वाले दर्द को माइग्रेन का दर्द कहा जाता है। इस तरह के सिर दर्द में सिर के किसी एक हिस्से में चुभन भरा दर्द होता है और दर्द के साथ जी मिचलाने, गैस और उल्टी जैसी समस्याएं भी होती हैं। इतना ही नहीं व्यक्ति फोटोफोबिया (रोशनी से परेशानी) और फोनोफोबिया (शोर से परेशानी) से भी परेशानी महसूस करता है। पर्याप्त नींद न लेने, भूखे रहने या कम पानी पीने से माइग्रेन हो सकता है।

3. कुछ महिलाएं हार्मोन में बदलाव के दौरान गंभीर सिर दर्द महसूस करती हैं। यह स्थिति मोनोपोज, मासिक स्त्राव, ओवेल्यूशन आदि के दौरान भी हो सकती है। मासिक स्त्राव में उतारा चढ़ाव से भी इस तरह का सिर दर्द बना रह सकता है।

4. कुछ खास तरह की दवाइयों का ज्यादा दिन तक लेने के कारण रिबाउंड सिरदर्द की समस्या हो हो सकती है। कई बीमारियां ऐसी होती हैं जिनमें दवाईयां लंबे समय तक चलती हैं, ऐसे में यह मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती हैं। इस तरह का सिर दर्द दवाएं बंद होने के साथ खुद ही बंद हो जाता है।

5. दांत दर्द से भी सिर की नसें प्रभावित होती हैं। दांत और सिर की नसें जबड़े पर जाकर मिलती हैं जिससे दांत और सिर एक दूसरें को कनेक्ट करते हैं। जिससे दांत में किसी भी तरह की तकलीफ होने से सिर में दर्द होने लगता है।

6. चाय और कॉफी के आदि लोगों को यदि समय पर चाय न मिले तो भी उन्हें सिर दर्द की शिकायत हो सकती है।

7. कुछ लोगों को सुबह उठते ही सिरदर्द की शिकायत होती है जबकि कुछ देर बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है। कई बार रात में अच्छी नींद न लेने या भूखे पेट सोने के कारण सुबह सुबह सिर दर्द हो सकता है।

8. आंखों में किसी तरह की समस्या होने, आंख कमजोर होने, चश्मा न पहनने या कांटेक्ट लैंस में गड़बड़ी होने से सिर दर्द हो सकता है। ऐसी कोई भी समस्या जिससे आंखों पर तनाव पड़ता हो, सिर दर्द होने की वजह हो सकता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति सिर दर्द से परेशान है तो उसे अपनी आंखों को भी जरूर चैक कराना चाहिए।

9. कुछ लोगों को आइसक्रीम या बहुत ठंडी चीजों को खाने से भी सिर दर्द की शिकायत हो सकती है। आइसक्रीम या बहुत ठंडी चीजें खाने के बाद माथे के बीच में भारीपन महसूस होता है जिससे सिर दर्द शुरू हो जाता है। इस तरह का दर्द आइसक्रीम खाने के तुरंत बार शुरू हो जाता है।

सिरदर्द का इलाज – Headache Treatment in Hindi

  • सिर दर्द हो तो सबसे पहले कारण जानने की कोशिश करें, उसके अनुसार हल ढूंढें
  • गर्मियों में ठंडे तेल की मालिश भी सिर दर्द से राहत दे सकती है
  • सिर को हल्के हाथों से दबाकर भी सिर दर्द से राहत मिल सकती है
  • अपना ध्यान कहीं और दर्द से हटाकर कहीं और लगाने की कोशिश करें, जैसे हल्का संगीत सुनें
  • गहरी सांसे लेने से भी सिर दर्द से राहत मिलती है
  • बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट को रोज खाएं, इससे तनाव कम होता है और दिमाग मजबूत होता है
  • गर्मी हैं तो ठंडा पानी पीएं और सर्दियां हैं तो सिर को ठंड से बचाकर रखें
  • चाय या कॉफी पीकर देखें, इनमें मौजूद कैफीन से भी सिर दर्द में आराम मिलता है

ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) – Breast Cancer in Hindi

मानव शरीर के अवयव और ऊतक कोशिकाओं (सेल) से बने होते हैं। कैंसर इन कोशिकाओं का एक रोग है। ब्रेस्ट कैंसर दुनिया में तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारियों में से एक है। ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) या स्तन कैंसर की अधिकतर रोगी महिलाएं होती हैं। पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है। 

कब होता है स्तन कैंसर – About Breast Cancer in Hindi

ब्रेस्ट चर्बी (Fat), सहायक ऊतकों (Supporting Muscles) और लसीकाओ वाले ऊतकों (Lymphatic Tissues) के बने होते हैं, जिनमें लोब (Lobe) होते हैं। स्तन कैंसर तब होता जब स्तन वाहिकाओं और लोब की कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है। डॉक्टरों के अनुसार  हमारा शरीर कोशिकाओं से बना होता है जो समय-समय पर टूटते और बनते हैं। यह क्रम बेहद नियंत्रित तौर पर होता है। 

लेकिन जब कोशिकाओं के टूटने और बनने की प्रकिया अनियंत्रित हो जाती है और नई कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा बन जाती हैं, तब उस जगह एक गांठ बन जाती है। जब यह कोशिकाएं या सेल्स इकठ्ठा हो कर बड़ा रूप धारण कर लेती हैं तब यह ट्यूमर में बदल जाती हैं। 

ट्यूमर दो तरह के हो सकते हैं – बिनाइन और मैलिग्नेंट। इनमें से बिनाइन ट्यूमर (गांठ) तो गैर-कैंसरस होती है लेकिन मैलिग्नेंट ट्यूमर को कैंसरस माना जाता है। इस चीज का पता जांच से किया जाता है। 

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण – Breast cancer Symptoms in Hindi

स्तनों के बारे में जान लेने का सरल तरीका है T L C यानि T – TOUCH Your Breasts (अपने स्तनों को छुएं) क्या आपको कुछ असामान्य लगता है? क्या आप स्तन में, छाती के ऊपरी हिस्से में, या बगलो में कोई गाँठ (Lump) महसूस करती हैं? क्या आपको स्तनों के ऊपर कोई परत महसूस होती है जो हटती नहीं? क्या स्तनों में साधारण सा दर्द है। L – LOOK for changes (कुछ बदलाव तो नही लगता) क्या स्तनों के आकर या बनावट ( shape or texture) में कोई बदलाव है? क्या स्तनों के आकर या आकृति (size or shape) में कोई बदलाव है (कोई एक स्तन दूसरे के मुकाबले छोटा या बड़ा हैं)?

स्तनों की त्वचा की बनावट में कोई बदलाव जैसे फ़टी फ़टी सी या कोई गड्डा सा पड़ जाना? रंग में बदलाव जैसे की निप्पल्स के आसपास सुर्ख लाल रंग.हो जाना? क्या निप्पल की दिशा सही है, कहीं वह अंदर की तरफ तो नही मुड़ गया है? किसी भी निप्पल से तरल पदार्ध का रिसना? निप्पल के आस पास किसी प्रदार्थ का रिसना या पपड़ी का जमना? C – CHECK any unusual findings with your doctor (कुछ असामान्य सा महसूस हो तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें) क्या आपको कुछ असामान्य या अलग सा महसूस हो रहा है?

अगर ऐसा है तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें। समय समय पर अपने स्तनों की जांच स्वयं करते रहें ऐसा करने से आप उनमे सामान्य तौर पर आने वाले बदलावों और असामान्य बदलाव के बारे में जान जायेंगे, अक्सर मासिक धर्म (Menses) के समय स्तनों में कुछ बदलाव अवश्य आता है। लक्षणों के उभरने का इंतज़ार न करें, नियमित रूप से स्तनों की जांच करवाएं। यह सर्वविदित है कि रोकथाम इलाज़ से बेहतर है

ब्रेस्ट कैंसर के कारण – Breast cancer Causes in Hindi

कई लोग मानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर अनुवांशिक होता है जो पूरी तरह सही तथ्य नहीं है। स्तन या ब्रेस्ट कैंसर के कुछ अहम कारण निम्न हैं: 

  • आयु-स्तन कैंसर होने का जोखिम आयु के साथ बढ़ता है।
  • यदि आपको पहले कैंसर या स्तन का कोई अन्य रोग हुआ हो।
  • पारिवारिक इतिहास – केवल 5–10% स्तन कैंसर ही अनुवांशिक रूप से प्राप्त जीन के कारण होते हैं।

स्तन कैंसर का खतरा किन महिलाओं को ज्यादा होता है?

  • अधिक उम्र की महिलाएं।
  • जिन महिलाओं की मां, बहन या बेटी को स्तन कैंसर हुआ हो
  • जन्म के समय से ही क्रोमोज़ोम (गुणसूत्रो) में बदलाव हो।
  • महिला जिसे बच्चे ना हुए हों, या 30 साल की उम्र के बाद बच्चे हुए हों।
  • जिसे 12 साल की उम्र से पहले ही पीरियड्स शुरु हो गए हों।
  • जिस महिला को 50 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) हुई हो।
  • जिस महिला की स्तन के ऊतक काफी घने हों। आपकी मेमोग्राफी करके डॉक्टर ये जानकारी दे सकते है।
  • जो महिला गर्भ निरोधक गोलियों का लंबे अर्से से इस्तेमाल कर रही हो।
  • जो महिला दिन में 2 से 5 बार शराब का सेवन करती हो।
  • जिस महिला को मेनोपॉज के बाद ज्यादा मोटापा आ गया हो।
  • जिस महिला ने हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी इस्तेमाल की हो।
  • जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करवातीं। 

हार्मोन संबंधी कारक

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजन नामक हार्मोन से लंबे समय तक सम्पर्क में आने से आपका स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

जीवनशैली संबंधी कारक

लम्बे समय तक प्रतिदिन दो पेग से ज्यादा शराब पीना तथा धूम्रपान से आपका स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है| वजन ज्यादा होना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। 

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज – Breast cancer Treatment in Hindi

अगर आपको थोड़ा सा भी संशय हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लीजिये।

ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) – Osteoporosis in Hindi

ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) एक ऐसी शांत प्रकृति की बीमारी है जिसके लक्षण सामान्यत: जल्दी से दिखाई नहीं देते हैं। शरीर में कैल्शियम (Calcium) की कमी होना ऑस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण है। 

ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) – About Osteoporosis in Hindi

ऑस्टियोपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व (BMD) कम हो जाता है, हड्डियां खोखली व कमजोर पड़ने लगती हैं और हल्का दबाव पड़ने पर टूट जाती हैं| ऐसी स्थिति में हड्डी का फिर से जुड़ना मुश्किल हो जाता है। ऑस्टियो आर्थराइटिस में कार्टिलेज (Cartilage) अपनी इलास्टिसिटी (Elasticity) खो देता है। 

महिलाओं में होती हैं अधिक समस्या 

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। उम्र के साथ साथ महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजोन का स्तर का घटता जाता है और उनमें ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका बढ़ने लगती है। रजोनिवृत्ति वाली प्रत्येक तीसरी महिला इस बीमारी से पीड़ित है। बीमारी होने के दौरान इसका जल्द पता नहीं चलता। जब हड्डियों में तकलीफ होती है तो डॉक्टर को दिखाने के बाद पता चलता है कि वे ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी से ग्रस्त हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) के लक्षण – Osteoporosis Symptoms in Hindi

  • अगर बहुत जल्दी थक जाते हों
  • खासकर सुबह के वक्त कमर में फैला हुआ दर्द हो
  • शरीर में बार-बार दर्द होता हो
  • समस्या बढ़ने पर छोटी-सी चोट फ्रैक्चर की वजह हो सकती है

ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) के कारण – Osteoporosis Causes in Hindi

  • वंशानुगत – अगर पारिवारिक इतिहास हो तो इस बीमारी के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • डाइट- ऐसी डाइट लेना जिसमें जिसमें प्रोटीन और कैल्शियम की कमी हो वह भी ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) को बढ़ावा देती है।
  • डायबीटीज, थाइराइड जैसी बीमारियों की दवाई कैल्शियम का अधिक अवशोषण (Absorption) करती है, यह चीज भी कई बार बीमारी को बुलावा देती है। 
  • छोटे बच्चों का बहुत ज्यादा सॉफ्ट डिंक्स पीना भी एक कारण है। 
  • आरामपसंद- जिनकी दिनचर्या ज्यादा क्रियाशील ना हो, उनको भी इस बीमारी से खतरा होता है। 
  • सिगरेट/ शराब सेवन- नशायुक्त व्यक्तियों में कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता कम होती है। ऐसे लोगों को भी यह रोग हो सकता है। 
  • वजन- जो अत्यधिक दुबले होते हैं उन्हें भी इस बीमारी से बचकर रहना चाहिए। 
  • बढ़ती उम्र – 50 वर्ष से अधिक के पुरुष व महिला को इसका जोखिम अधिक होता है। 
  • दवाइयों का सेवन- ऐसी बीमारियाँ जहाँ मरीज को स्टेराइड व हार्मोन की दवाइयाँ लेनी पड़े, उन दवाइयों के कारण भी कई बार यह बीमारी सामने आ जाती है। 

ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज – Osteoporosis Treatment in Hindi

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव का सबसे बढिया तरीका सही डाइट लेना होता है। इसके लिए निम्न बिंदूओं पर ध्यान देना आवश्यक है।

  • भोजन में कैल्शियम के अलावा विटामिन, प्रोटीनयुक्त चीजों खानी चाहिए।
  • दूध, दही, पनीर व अंडे का सेवन करना चाहिए।
  • नियमित व्यायाम करना चाहिए।
  • सुबह की धूप का सेवन लाभदायक होता है।
  • शराब और किसी अन्य नशे से दूर रहना चाहिए। 

हाइपोथाइराइड – Hypothyroid in Hindi

हाइपोथाइराइड एक चयापचय विकार (Metabolic Disorder) है। थाइराइड ग्रंथि के कार्य के सभी पहलुओ, जैसे आयोडीन को थाइराइड हार्मोन में बदलने के लिए ग्रंथि में आयोडीन के संग्रह कार्य को उत्तेजित करने तथा हार्मोन के निर्माण और रक्त परिसंचरण में उसके प्रवाह को टीएसएच (TSH) हार्मोन प्रभावित करता है। मूलतः यह बीमारी खान पान और जीवन शैली से संबंधित है। 

क्या है हाइपोथाइराइड – About Hypothyroid in Hindi

डॉक्टरों के अनुसार गले में पाए जाने वाली ग्रंथि थायरॉइड से निकलने वाला हार्माेन थायरॉक्सिन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है। लेकिन अगर किसी वजह से इस हार्मोन का उत्पादन कम या ज्यादा होने लग जाए तो थायरॉइड की समस्या हो जाती है। थायरॉक्सिन का उत्पादन कम होने पर व्यक्ति को हाइपोथायरॉइड (Hypothyroid) और उत्पादन अधिक होने पर हाइपरथायरॉइड (Hyperthyroid) की समस्या हो जाती है।

हाइपोथाइराइड के लक्षण – Hypothyroid Symptoms in Hindi

  • इसकी अधिकता होने पर अवटु अतिक्रियता हो जाती है जिसमें नेत्रोत्सेधी गलगण्ड हो जाता है।
  • कमजोरी महसूस होना (Weakness in Body)
  • ठण्ड का सहन नही होना (Intolerance Cold)
  • त्वचा का शुष्क होना (Dry Skin)
  • पेशियों और जोड़ो में दर्द होना, (Pain in the Joints and Muscles)
  • बालों का झड़ना (Baldness)
  • बुद्धि की कमी हो जाती है
  • रक्ताल्पता (Anemia) होना
  • वजन का बढ़ना
  • सुनाई कम देता है
  • स्त्रियों में मासिक रक्तस्त्राव (Extra Discharge During Menses) का अधिक होना

हाइपोथाइराइड के कारण – Hypothyroid Causes in Hindi

हाइपोथाइराइड की मुख्य वजह हमारी जीवनशैली मानी जाती है। आसीन जीवन शैली और जंक फूड के अधिक इस्तेमाल को अधिकांश डॉक्टर इसकी वजह मानते हैं। 

हाइपोथाइराइड का इलाज – Hypothyroid Treatment in Hindi

​हाइपो थायरॉयड से बचने के लिए सबसे जरूरी है स्वस्थ्य और क्रियाशील जीवनशैली अपनाना। इसके साथ ही निम्न बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है: 

  • व्यायाम (Exercise): प्रतिदिन एक घंटा हल्का या तेज किसी भी प्रकार का व्यायाम जरूर करें।
  • हाइपोथयरॉइड के कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए और डॉक्टर से विमर्श करके हाइपोथयरॉइड की दवाई शुरू करनी चहिये।

छींक आना – Sneezing in Hindi

छींक को एक सामान्य क्रिया माना जाता है। छींक प्रायः तब आती है जब हमारी नाक के अंदर की झिल्ली किसी बाहरी पदार्थ के घुस जाने से परेशानी महसूस करती है। हमारी नाक में म्यूकस झिल्ली होती है जिसके उत्तक (Tissues) और कोशिकायें (Cells) बहुत संवेदनशील होते हैं।

सर्दी के कारण छींक – Sneezing in Cold in Hindi

जुकाम या एलर्जी वगैरह की वजह से इस झिल्ली में सूजन आ जाती है तो इससे इन उत्तकों (Tissues) और कोशिकाओं Cells) की संवेदनशीलता बढ़ जाती है जिससे हमें छींक आने लगती है। 

छींक के फायदे – Benefits of Sneezing in Hindi

छींक प्रतिरोधी तंत्र की प्रक्रिया का जरूरी  हिस्सा है, छींकने से शरीर के हानिकारक रोगाणु (Germs) बाहर निकलते हैं। छींक की क्रिया में छाती, पेट, डॉयफ्राम, गला, वाकतंतु जैसे कई अंग एक साथ काम करते हैं। ये सब अंग बाहरी पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने के लिए एकजुट होकर काम करते हैं।

छींक के कुछ तथ्य – Facts of Sneezing in Hindi

छींकते समय हमारे मुंह और नाक से बाहर निकलने वाली हवा की गति एक घंटे में डेढ़ सौ किलोमीटर से भी ज्यादा होती है। यही वजह है कि छींकते समय हमारे पूरे शरीर में एक कंपन-सा होता और आंखें भी बंद हो जाती हैं। सोते समय छींक नहीं आती है क्योंकि उस समय नसें आराम की अवस्था में होती हैं। आपके साथ छींक से जुड़ी नसों को भी आराम मिलता है इसलिए कभी भी नींद के दौरान आपको छींक नहीं आ सकती है।

छींक के कारण – Sneezing Causes in Hindi

  • सामान्यत: ठंड में जुकाम होना ही छींक की वजह होती है। 
  • धूप में ज्यादा रहना भी छींक का कारण बन सकता है, जी हां तेज धूप से छींक की नसें सक्रिय हो जाती हैं जिससे बिना मौसम के धूप में चलते वक्त भी छींक आ जाती है।
  • सेक्स भी छींकने का कारण हो सकता है। सेक्स के दौरान पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है जिससे सेक्स के बाद कई बार कुछ लोगों को बहुत छींक आती है।
  • थ्रेडिंग करवाते समय या उसके बाद छींक आती है। दरअसल, भौहों के ठीक नीचे जो नस होती है वह श्वास नली से जुड़ी होती है। इससे जुड़ी किसी भी गतिविधि की प्रतिक्रिया के रूप में छींक आती है।
  • कई बार तेज रोशनी देखने से आंख के रेटिना और दिमाग को जोड़ने वाली ऑप्टिक वेन (Optic Vein) उत्तेजित हो जाती है। इस वजह से भी हमें छींक आ जाती है।

छींकना का इलाज – Sneezing Treatment in Hindi

  • छींक शरीर के अंदर के एलर्जेंस को बाहर निकालने में सहायता करता है। छींक कुछ समस्या लेकर आती है जैसे निम्न एकाग्रता, लाल आंखें, नाक बहना, नाकों में खुजलाहट और प्राय: यह बुखार और सिरदर्द का कारण हो सकती है।
  • घी, गूगल तथा मोम को एक साथ मिलाकर आग में डालें व उसका धुआं निकलने पर धुंआ नाक से खींचे (धूनी लें) तो बार-बार छींक आना शांत हो जाता है।

मलेरिया – Malaria in Hindi

मलेरिया बुखार के कारण प्रतिवर्ष की कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से फैलनी वाली इस बीमारी के विषय में जानकारी बेहद कारगर है। आइए जानें मलेरिया के बारें में:

मलेरिया के बारे में – About Malaria in Hindi

मलेरिया मादा ऐनोफ्लीज मच्छर (Female Anopheles Mosquito) के काटने से फैलता है, जोकि गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद काटते हैं। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया के दौरान रोगी को तेज बुखार के साथ उलटी और सर दर्द की समस्या भी होती है। मलेरिया के तीन स्टेज होते हैं। 

मलेरिया के चरण – Stages of Malaria in Hindi

मलेरिया के बुखार को तीन स्टेज में देखा जाता है:

  • कोल्ड स्टेज (Cold Stage): इस दौरान रोगी को तेज ठंड के साथ कपकपी होती है। 
  • हॉट स्टेज (Hot Stage): इस दौरान रोगी को तेज बुखार, पसीने और उलटी आदि की शिकायत हो सकती है। 
  • स्वेट स्टेज (Sweat Stage): मलेरिया बुखार के दौरान स्वेट स्टेज में मरीज को काफी पसीना आता है। 

मलेरिया के लक्षण – Malaria Symptoms in Hindi

  • उल्टी आना होना
  • एनीमिया होना
  • ठंड लगकर बुखार चढऩा
  • दर्द और ऐंठन होना
  • पसीना आना
  • मलेरिया बुखार 10-15 दिन रहता है
  • ये बुखार चढ़ता-उतरता रहता है

मलेरिया के कारण – Malaria Causes in Hindi

क्यों फैलते हैं मलेरिया के मच्छर –

  • आसपान मौजूद पानी को समय पर ना बदलना
  • रहने के स्थान के आसपास गंदगी होना
  • पानी का जमाव होना
  • मच्छरों के अंडों का जमा होना 

मलेरिया का इलाज – Malaria Treatment in Hindi

मलेरिया होने पर अधिक से अधिक कोशिश करनी चाहिए कि रोगी को जल्दी से डॉक्टर से ले जाकर जांच कराई जाए। जांच में मलेरिया की पुष्टि होने पर ही उपचार शुरु करना चाहिए। मलेरिया के दौरान कुछ अहम उपचार और प्रभावी कदम निम्न हैं: 

  • मलेरिया में क्लोरोक्विन जैसी एंटी-मलेरियल दवा (Chloroquine- Anti malarial medicine) दी जाती है। इन दवाओं के साइड – इफेक्ट्स हो सकते हैं, इसलिए इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
  • मरीज को पूरा आराम करने दें। उसे हर छह घंटे में पैरासिटामोल (Paracetamol in Malaria) दें और बार- बार पानी और तरल चीजें ( नीबू पानी , छाछ , नारियल पानी आदि ) पिलाएं।

बच्चों को मलेरिया होने पर क्या करें – Tips for Malaria in Kids in Hindi

  • मलेरिया बुखार के दौरान बच्चों का खास ख्याल रखें।
  • बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए बीमारी उन्हें जल्दी पकड़ लेती है। ऐसे में उनकी बीमारी को नजरअंदाज न करें।
  • बच्चे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए इन्फेक्शन होने और मच्छरों से काटे जाने का खतरा उनमें ज्यादा होता है।
  • बच्चों घर से बाहर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें। 
  • मच्छरों के मौसम में बच्चों को निकर व टी – शर्ट न पहनाएं। 
  • रात में मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
  • अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो , लगातार सोए जा रहा हो , बेचैन हो , उसे तेज बुखार हो , शरीर पर चकत्ते (Rashes) हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
  • आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ – पांव तो ठंडे रहते हैं लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं इसलिए उनके पेट को छूकर और रेक्टल टेम्प्रेचर लेकर उनका बुखार चेक किया जाता है। बगल से तापमान लेना सही तरीका नहीं है , खासकर बच्चों में। अगर बगल से तापमान लेना ही है तो जो रीडिंग आए, उसमें 1 डिग्री जोड़ दें। उसे ही सही रीडिंग माना जाएगा।

डेंगू – Dengue Fever in Hindi

डेंगू क्या है – What is Dengue in Hindi

डेंगू, मादा एडीज (Female Aedes) मच्छर के काटने से होता है। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। मरीज में अगर जटिल तरह के डेंगू का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसे जल्दी – से – जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। डीएचएफ ( DHF – Dengue Hemorrhagic Fever) और डीएसएस (DSS – Dengue Shock Syndrome) बुखार डेंगू के दो प्रकार हैं जिनमें प्लेटलेट्स (Platelets) काफी कम हो जाते हैं, जिसके कारण शरीर के जरूरी अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है।

डेंगू में प्लेटलेट्स महत्वपूर्ण कारक – Platelets Count in Dengue

डेंगू से कई बार मल्टी – ऑर्गन फेल्योर (Multi Organ Failure) भी हो जाता है। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स शरीर में रक्तस्राव (Bleeding) रोकने का काम करती हैं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में जाना चाहिए और जरूरी जांच कराने चाहिए। यहां यह ध्यान रखने योग्य बात है कि डेंगू के प्रत्येक मरीज को अस्पताल में  भर्ती की आवश्यकता  नहीं होती है। 

डेंगू में 24 घंटे में 50 हजार से एक लाख तक प्लेटलेट्स तक गिर सकते हैं। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक रक्तस्राव नहीं होता। डेंगू में कई बार चौथे – पांचवें दिन बुखार कम होता है तो लगता है कि मरीज ठीक हो रहा है, जबकि ऐसे में कई बार प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं।  

डेंगू के लक्षण – Dengue Symptoms in Hindi

  • उल्टी व शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं
  • कमजोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं
  • डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं
  • डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो
  • डेंगू हेमोरेजिक बुखार में उपरोक्त लक्षणों के अलावा प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में कहीं से भी खून बहना शुरू हो सकता है, जैसे नाक से, दाँतों व मसूड़ों से, खून की उल्टी व मल में खून आना आदि
  • थकावट व कमजोरी है
  • नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलनेलगती है और रक्त चाप (Blood Pressure) एकदम कम हो जाता है
  • बुखार बहुत तेज होता है
  • सिरदर्द, कमर व जोड़ों में दर्द होता है
  • हल्की खाँसी व गले में खराश महसूस होती है

डेंगू के कारण – Dengue Causes in Hindi

डेंगू मच्छर के काटने से ही होता है। मादा एडीज मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी का कोई अन्य कारण नहीं है। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें-

  • खाली बर्तनों को उलटा करके रखें।
  • पक्षियों के खाने- पीने के बर्तनों को हर रोज साफ करें।
  • अगर घर में कूलर है तो उसका पानी दो या तीन दिन बाद अवश्य बदलें।
  • घर में स्थित हौदियों, टैंकरों में पानी को साफ रखने के लिए उसमें क्लोरीन की दो चार गोलियां डाल दें।
  • घर के आस- पास या छत पर पड़े बेकार टायर, ट्यूब, टूटे हुए मटके, खाली डिब्बों आदि में बरसात का पानी इकठ्ठा न होने दें।
  • पार्क में जाते समय या ऐसी जगह जाते समय जहां मच्छरों के काटने का खतरा हो, वहां पूरी  बाजू के कपड़े पहनने चाहिए ताकि मच्छर ना काटें। 
  • मच्छरों से बचने के लिए क्रीम, मच्छरदानी और अन्य उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए। 

डेंगू का इलाज – Dengue Treatment in Hindi

डेंगू से बचाव का सबसे बेहतरीन उपाय है गंदगी का जमा ना होने देना। अगर मादा एडीज मच्छर पनपेंगे ही तो डेंगू होने की आशंका भी बेहद कम होगी। डेंगू होने पर निम्न उपाय करने चाहिए: 

  • साधारण डेंगू बुखार का इलाज घर पर ही हो सकता है। मरीज को पूरा आराम करने दें। उसे हर छह घंटे में पैरासिटामोल (Paracetamol) दें और बार- बार पानी और तरल चीजें ( नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी आदि ) पिलाएं।
  • बच्चों का खास ख्याल रखें।
  • बुखार कम होने के बाद भी एक-दो दिन में एक बार प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट जरूर कराएं। डेंगू में मरीज के रक्तचाप, खासकर ऊपर और नीचे के रक्तचाप के अंतर पर लगातार निगरानी ( दिन में 3-4 बार ) रखना जरूरी है। दोनों रक्तचाप के बीच का फर्क 20 डिग्री या उससे कम हो जाए तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। रक्तचाप गिरने से मरीज बेहोश हो सकता है।

बच्चों में डेंगू की रोकथाम – Treatment of Dengue in Kids

  • बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम (Immune System of Kids) कमजोर होता है इसलिए बीमारी उन्हें जल्दी पकड़ लेती है। ऐसे में उनकी बीमारी को नजरअंदाज न करें।
  • बच्चे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए इन्फेक्शन होने और मच्छरों से काटे जाने का खतरा उनमें ज्यादा होता है।
  • बच्चों घर से बाहर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें।
  • मच्छरों के मौसम में बच्चों को निकर व टी – शर्ट न पहनाएं।
  • रात में मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
  • अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
  • आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ – पांव तो ठंडे रहते हैं लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं इसलिए उनके पेट को छूकर और रेक्टल टेम्प्रेचर लेकर उनका बुखार चेक किया जाता है। बगल से तापमान लेना सही तरीका नहीं है, खासकर बच्चों में। अगर बगल से तापमान लेना ही है तो जो रीडिंग आए, उसमें 1 डिग्री जोड़ दें। उसे ही सही रीडिंग माना जाएगा।
  • बच्चे को डेंगू हो तो उसे अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।

दांत में दर्द – Tooth pain in Hindi

दांत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बात मुस्कुराने की हो या कुछ खाने की बिना दांत सब बेकार है। लेकिन किसी भी कारण यदि दांतों में दर्द हो जाए तो व्यक्ति बैचेन हो जाता है। दांतों का दर्द यूं तो एक आम समस्या है, लेकिन इसका दर्द असहनीय होता है। 

दांत दर्द के बारे में – About Toothache in Hindi

आमतौर पर कुछ खाते समय दांतों में उसका अंश फंस जाना, कैविटी, नया दांत निकलना या कोई सख्त चीज़ काटने के कारण दांतों में क्रैक की वजह से भी दांत में दर्द (Toothache) होने लगता हैं। कई बार तो दांत का दर्द कान से लेकर सिर तक चला जाता है जिसके कारण बेहद तकलीफ होती है। दांत का दर्द अधिक होने पर नींद नही आती, इसलिए दांत के दर्द (Danto me Dard) को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिये।

दांत का दर्द के लक्षण – Tooth Pain Symptoms in Hindi

  • चबाने में दर्द होना
  • बुखार, सिरदर्द
  • सांस लेने में कठिनाई

दांत का दर्द के कारण – Tooth Pain Causes in Hindi

दांतों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। दांतों की ठीक से सफाई न करना, दांतों में कैविटी होना या अत्यधिक मीठा खाना। इसके साथ ही चाय काफी ज्यादा पीना। इसके साथ ही कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे: 

1. मसूड़ों में इंफेक्शन- यदि किसी भी कारण से मसूड़ों में इंफेक्शन है तो यह दांत दर्द का कारण हो सकता है। इसके कारण टूथ इनेमल (Tooth Enamel) की समस्या भी होती है। इससे दांतों में ठंडा गर्म लगना, मुंह का स्वाद बिगड़ना, गर्दन की ग्लैंड में सूजन आना, मसूड़ों में सूजन आनाआदि समस्याएं आ सकती हैं।

2. कैविटीज- इसके कारण दांतों की ऊपरी परत नष्ट हो जाती है। कॉर्बोहाईड्रेट वाला खाना जिसमें ब्रेड, सोडा केक या कैंडी आदि दांतों पर चिपक जाए और अच्छी तरह से साफ न हो तो कैविटी (Cavity) हो सकती है जिसका परिणाम होता है दांतों में दर्द।

3. दांत में कीड़ा- इससे दांत पूरी तरह खोखला हो जाता है और उनमें खाना भर जाता है। जो कि दर्द का कारण बनता है। दर्द के कारण दांत काम नहीं करता और उन पर एक प्रकार की गंदगी जमने लगती है।

4. टूटे दांत- कुछ खाते वक्त या किसी अन्य कारण से यदि दांत टूट गए हैं तो ऐसे दांतों में दर्द की शिकायत अक्सर रहती है। ऐसे दांतों के इनेमल कमजोर हो जाती है जिससे ये सेंसिटिव हो जाते हैं।

5. फिलिंग- यदि दांतों में फिलिंग (Tooth Filling) कराई गई हो तो यह भी कई बार यह दांत दर्द का कारण हो सकती है।

अन्य कारण – Reasons of Toothache in Hindi 

कुछ अन्य कारण निम्न हैं: 

  • जबड़े पर चोट लगना
  • दांत का सड़ना
  • कैविटी होना
  • कोई सख्त चीज़ काटने के कारण दांतों में क्रैक आ जाना 

दांत का दर्द का इलाज – Toothache Treatment in Hindi

​दांत दर्द होने पर ठंडे पानी से कुल्ला करना फायदेमंद होता है लेकिन अगर इससे पूर्ण आराम नहीं मिल पाए तो निम्न उपाय करने चाहिए: 

  • कोई पेनकिलर लें।
  • आइस पैक या टॉवेल में आइस लपेटकर उसे गालों पर कुछ देर के लिए रखें। अगर गालों में सूज़न आ जाए और दर्द हो तो फ्रोज़ेन पीज़ को आइसपैक की जगह लगाएँ। ये चेहरे के आकार के अनुसार बदल सकते हैं।
  • अगर दो दिनों में दर्द नहीं जाता तो डेन्टिस्ट (Dentist) के पास जाएँ। हो सकता हैं ज़्यादा कॅविटी या क्रैक की वजह से दर्द हो।
  • दांत का डॉक्टर आपके मुंह की जांच करेगा और एक्स-रे लेगा। फिर दांत का डॉक्टर दांत को ठीक करेगा या निकाल देगा। आपको दर्द निवारक दवाएं या एंटीबायोटिक लेने के लिए कहा जा सकता है। डॉक्टर की बताई गई दवाएं लें।