इबोला वायरस – Ebola Virus in Hindi

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इबोला वायरस रोग या इबोला हेमोराहैजिक बुखार इबोला विषाणु के कारण होता है। इबोला विषाणु रोग (EVD) या इबोला हेमोराहैजिक बुखार (EHF) में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर रक्तस्राव शुरू हो जाता है और इससे 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इबोला के बारें में जानकारी – Information of Ebola in Hindi

इबोला वायरस बीमारी के लक्षण विकसित होने पर ही यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के निकट आने से मनुष्यों को होती है। इबोला वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच इबोला रोग के लक्षण उभरने शुरू होते हैं, जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होता है। 

इबोला: एक संक्रामक रोग

इबोला एक संक्रामक रोग माना गया है और छूने से फैलता है। ये रोग सांस से नहीं फैलता बल्कि इबोला के फैलने का मुख्य कारण है "पसीना"। रोगी की मौत होने के बाद भी ये जीव रोगी के शरीर मे जीवित रहता है और उसके रिश्तेदारों के छूने पर ये उनमें स्थानांतरित हो जाता है।

जानवरों में इबोला – Ebola in Animals

इंसानों के अलावा जानवरों से भी ये रोग फैलता है। जानवरों के जरिए इंसानों में संक्रमण आसानी से होता है। चमगादड़ों को इबोला की सबसे बड़ी वजहों में से एक माना गया है। फ्रूट बैट (एक प्रकार के चमगादड़) प्रभावित हुए बिना यह वायरस रखते और फैलाते हैं।

माइक्रोस्कोप से देखने पर यह वायरस धागे जैसा पतला और लंबा नजर आता है। इन वाइरस की लंबाई अलग-अलग हो सकती है।

इबोला में जिगर (Liver) और गुर्दो (Kidney) के प्रभावित होने के कारण मितली, उल्टी और डायरिया हो जाती है। इस स्थिति में कुछ लोगों को खून बहने की समस्या शुरू हो जाती है।

इबोला की जांच – Diagnosis of Ebola​ in Hindi

इबोला की पुख्ता पहचान करने के लिए जांच करके यह पता लगा लिया जाता है कि कहीं यह समान लक्षण वाली दूसरी बीमारियों जैसे मलेरिया, हैज़ा और अन्य वायरल हेमोराहैजिक बुखार तो नहीं है। रोग की पहचान की पुष्टि करने के लिए खून के नमूनों को वायरल एंटीबॉडीज, वायरल आरएनए, या खुद वायरस के लिए जांच की जाती है।

इबोला विषाणु रोग (EVD) के लक्षण – Ebola virus Symptoms in Hindi

आरंभिक लक्षण में ज्वर, फुन्सी, सर दर्द, मिचली, उल्टी और पेट में दर्द, पूरे शरीर में गठिया का दर्द, गले में दर्द, दस्त सकता है। इस रोग का इंक्यूबेशन पिरीयड (Incubation Period) एक हफ्ते का होता है। उसके बाद रोगी में आरंभिक लक्षण नजर आते हैं

  • जननांग में सूजन होती है
  • त्वचा में दर्द का अनुभव होता है
  • नेत्रश्लेष्मलाशोथ (कंजेंगवाइटिस) है
  • पूरे शरीर पर फुंशियों नजर आने लगती हैं
  • मुँह का तालु लाल हो जाता है
  • मुँह, कान, नाक से रक्तस्राव होता है
  • रोग के विकसित अवस्था में यह लक्षण भी नजर आते है

इबोला विषाणु रोग के कारण – Ebola virus Causes in Hindi

इबोला से बचाव का सबसे बेहतर और एकमात्र उपाय है इससे प्रभावित रोगी के सम्पर्क में आने से बचना। किसी रोगी के संपर्क में आने से यह रोग और तेजी से फैलता है। 

इबोला विषाणु रोग का इलाज – Ebola virus Treatment in Hindi

​इबोला का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं मिला है। बचाव ही इस बीमारी का सबसे बेहतरीन उपाय माना जाता है। अभी तक इबोला से पीडितों के केस में निम्न कदम उठाए जाते हैं:

  • इस बीमारी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है; संक्रमित लोगों की सहायता की कोशिशों में उन्हें ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (पीने के लिए थोड़ा-सा मीठा और नमकीन पानी देना) या इंट्रावेनस फ्लुड्स देना शामिल है।
  • अक्सर इस वायरस के संक्रमित होने वाले 50% से 90% तक लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।
  • इसके लिए टीका विकसित करने के प्रयास जारी हैं; हालांकि अभी तक ऐसा कोई टीका मौजूद नहीं है।

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