मलेरिया बुखार के कारण प्रतिवर्ष की कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से फैलनी वाली इस बीमारी के विषय में जानकारी बेहद कारगर है। आइए जानें मलेरिया के बारें में:
मलेरिया के बारे में – About Malaria in Hindi
मलेरिया मादा ऐनोफ्लीज मच्छर (Female Anopheles Mosquito) के काटने से फैलता है, जोकि गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर दिन ढलने के बाद काटते हैं। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया के दौरान रोगी को तेज बुखार के साथ उलटी और सर दर्द की समस्या भी होती है। मलेरिया के तीन स्टेज होते हैं।
मलेरिया के चरण – Stages of Malaria in Hindi
मलेरिया के बुखार को तीन स्टेज में देखा जाता है:
- कोल्ड स्टेज (Cold Stage): इस दौरान रोगी को तेज ठंड के साथ कपकपी होती है।
- हॉट स्टेज (Hot Stage): इस दौरान रोगी को तेज बुखार, पसीने और उलटी आदि की शिकायत हो सकती है।
- स्वेट स्टेज (Sweat Stage): मलेरिया बुखार के दौरान स्वेट स्टेज में मरीज को काफी पसीना आता है।
मलेरिया के लक्षण – Malaria Symptoms in Hindi
- उल्टी आना होना
- एनीमिया होना
- ठंड लगकर बुखार चढऩा
- दर्द और ऐंठन होना
- पसीना आना
- मलेरिया बुखार 10-15 दिन रहता है
- ये बुखार चढ़ता-उतरता रहता है
मलेरिया के कारण – Malaria Causes in Hindi
क्यों फैलते हैं मलेरिया के मच्छर –
- आसपान मौजूद पानी को समय पर ना बदलना
- रहने के स्थान के आसपास गंदगी होना
- पानी का जमाव होना
- मच्छरों के अंडों का जमा होना
मलेरिया का इलाज – Malaria Treatment in Hindi
मलेरिया होने पर अधिक से अधिक कोशिश करनी चाहिए कि रोगी को जल्दी से डॉक्टर से ले जाकर जांच कराई जाए। जांच में मलेरिया की पुष्टि होने पर ही उपचार शुरु करना चाहिए। मलेरिया के दौरान कुछ अहम उपचार और प्रभावी कदम निम्न हैं:
- मलेरिया में क्लोरोक्विन जैसी एंटी-मलेरियल दवा (Chloroquine- Anti malarial medicine) दी जाती है। इन दवाओं के साइड – इफेक्ट्स हो सकते हैं, इसलिए इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
- मरीज को पूरा आराम करने दें। उसे हर छह घंटे में पैरासिटामोल (Paracetamol in Malaria) दें और बार- बार पानी और तरल चीजें ( नीबू पानी , छाछ , नारियल पानी आदि ) पिलाएं।
बच्चों को मलेरिया होने पर क्या करें – Tips for Malaria in Kids in Hindi
- मलेरिया बुखार के दौरान बच्चों का खास ख्याल रखें।
- बच्चे नाजुक होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए बीमारी उन्हें जल्दी पकड़ लेती है। ऐसे में उनकी बीमारी को नजरअंदाज न करें।
- बच्चे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए इन्फेक्शन होने और मच्छरों से काटे जाने का खतरा उनमें ज्यादा होता है।
- बच्चों घर से बाहर पूरे कपड़े पहनाकर भेजें।
- मच्छरों के मौसम में बच्चों को निकर व टी – शर्ट न पहनाएं।
- रात में मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
- अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो , लगातार सोए जा रहा हो , बेचैन हो , उसे तेज बुखार हो , शरीर पर चकत्ते (Rashes) हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
- आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ – पांव तो ठंडे रहते हैं लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं इसलिए उनके पेट को छूकर और रेक्टल टेम्प्रेचर लेकर उनका बुखार चेक किया जाता है। बगल से तापमान लेना सही तरीका नहीं है , खासकर बच्चों में। अगर बगल से तापमान लेना ही है तो जो रीडिंग आए, उसमें 1 डिग्री जोड़ दें। उसे ही सही रीडिंग माना जाएगा।