आत्मविमोह – Narcissism in Hindi

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आत्मविमोह क्या है – What is Narcissism in Hindi

आत्मविमोह मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक मानसिक रोग है जो मस्तिष्क के कई भागों को प्रभावित करता है। जिन बच्चों में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है।

आत्मविमोह के सामान्य लक्षण – Symptoms of Narcissism in Hindi

आत्मविमोह के लक्षण बच्चे के तीन साल की उम्र होने से पहले ही दिखने शुरू हो जाते है। ऑटिस्टिक बच्चे सामाजिक गतिविधियों के प्रति उदासीन होते है, वो लोगों की ओर ना देखते हैं, ना मुस्कुराते हैं और ज्यादातर अपना नाम पुकारे जाने पर भी सामान्य: कोई प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।

हाल की एक समीक्षा के अनुसार प्रति 1000 लोगों के पीछे दो मामले आत्मविमोह के होते हैं। पिछले कुछ दशकों में आत्मविमोह के मामलों में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है जिसका एक कारण चिकित्सीय निदान के क्षेत्र मे हुआ विकास है लेकिन क्या असल में ये मामले बढ़े है यह अपने आप में एक प्रश्न है।

आत्मविमोह के कारण – Narcissism Causes in Hindi

अनुशोधों के अनुसार आत्मविमोह होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-

  • मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होना
  • मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता
  • आनुवंशिक आधार

परिणाम बताते हैं कि कम अंतराल पर हुई गर्भावस्थाओं से जन्म लेने वाले बच्चों में आत्मविमोह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है

आत्मविमोह का इलाज – Narcissism Treatment in Hindi

शुरुआती संज्ञानात्मक (Cognitive) या व्यवहारी हस्तक्षेप, ऑटिज़्म से प्रभावित बच्चों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऑटिज़्म को एक बीमारी की बजाय एक स्थिति के नजरिये से देखना चाहिए।

आत्मविमोह बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए – Treatment of a Narcissism ​Patient​ in Hindi 

  • खेल-खेल में नए शब्दों का प्रयोग करें
  • खिलौनों के साथ खेलने का सही तरीका दिखाएँ
  • बारी-बारी से खेलने की आदत डालें
  • धीरे-धीरे खेल में लोगो की संख्या को बढ़ते जायें
  • छोटे-छोटे वाक्यों में बात करें
  • साधारण भाषा का प्रयोग करें
  • रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले शब्दो को जोड़ कर बोलना सिखांए
  • पहले समझना तथा फिर बोलना सिखांए
  • यदि बच्चा बोल पा रहा है तो उसे शाबाशी दें तथा बार-बार बोलने के लिए प्रेरित करें
  • बच्चे को अपनी जरूरतों को बोलने का मौका दें
  • यदि बच्चा बिल्कुल बोल नही पाए तो उसे तस्वीर की तरफ़ इशारा करके अपनी जरूरतों के बारे में बोलना सिखाएं
  • बच्चे को घर के अलावा अन्य लोगों से नियमित रूप से मिलने का मौका दें
  • बच्चे को तनाव मुक्त स्थानों जैसे पार्क आदि में ले कर जायें
  • अन्य लोगों को बच्चे से बात करने के लिए प्रेरित करें
  • बच्चे के साथ धीरे-धीरे कम समय से बढ़ाते हुए अधिक समय के लिए नज़र मिला कर बात करने की कोशिश करे
  • तथा उसके किसी भी प्रयत्न को प्रोत्साहित करना न भूलें
  • यदि बच्चा कोई एक व्यवहार बार-बार करता है तो उसे रोकने के लिए उसे कुछ ऐसी गतिविधियों में लगाएं जो उसे व्यस्त रखें ताकि वे व्यवहार दोहरा न सके
  • गलत व्यवहार दोहराने पर बच्चे को कुछ ऐसा काम करवांए जो उसे पसंद नही है
  • यदि बच्चा कुछ देर गलत व्यवहार न करे तो उसे तुरंत प्रोत्साहित करें
  • प्रोत्साहन के लिए रंग-बिरंगी, चमकीली तथा ध्यान खीचनें वाली चीजों का इस्तेमाल करें
  • बच्चे को अपनी शक्ति को इस्तेमाल करने के लिए सही मार्ग दिखाएँ जैसे की उसे तेज व्यायाम, दौड़, तथा बाहरी खेलों में लगाएं
  • यदि परेशानी अधिक हो तो मनोचिकित्सक के द्वारा दी गई दवा का उपयोग भी किया जा सकता है

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